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भामह के उद्धरण

कवि को अपनी शक्ति (शब्दज्ञान एवं शास्त्रज्ञान) से ही काव्यप्रणयन में प्रवृत्त होना चाहिए। दूसरों के काव्य पर निर्भर करने वाले व्यक्ति तो उनके कथन का अनुवादमात्र करते हैं।

अनुवाद : रामानंद शर्मा