जो मनुष्य गुरु की कृपा से परमात्मा का नाम सिमरन की विद्या प्राप्त करता है, सीखता है, वह उस विद्या को पढ़-पढ़ कर जगत में आदर हासिल करता है, नामामृत को पाकर वह अंतर्मन में प्रकाश अनुभव करता है। उसका आत्मिक जीवन रौशन हो जाता है, उसके मन से अज्ञानता का अँधेरा दूर हो जाता है। उस मनुष्य को आत्मिक जीवन देने वाला नाम-जल मिल जाता नाता।