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राधावल्लभ त्रिपाठी के उद्धरण

जीवन की गहरी पकड़ तथा कविदृष्टि के साथ वाल्मीकि ने दिखलाया है कि मनुष्य अपने जीवन के घात-प्रत्याघात, नियति के थपेड़ों तथा दूसरों के द्वारा दिए जाने वाले उत्पीड़न से किस प्रकार जूझता तथा अपने संघर्ष में अंततः उबरता है।