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यशपाल के उद्धरण

जीवन में एक समय प्रयत्न की असफलता मनुष्य का संपर्ण जीवन नहीं है। जीवन का हम अंत नहीं देख पाते, वह निस्सीम है। वैसे ही मनुष्य का प्रयत्न और चेष्टा भी सीमित क्यों हो? असामर्थ्य स्वीकार करने का अर्थ है, जीवन में प्रयत्नहीन हो जाना, जीवन से उपराम हो जाना।