जो तुम से भय करता है, उससे तुम भी भय करते हो। शक्तिमान का भय सुषुप्त है, शक्तिहीन का जागरित। भय के कारण होने से भय अवश्य होगा। निर्भय वही है जो भय के कारणों से मुक्त है। तुम्हारी शक्ति से यदि दूसरा भयभीत हो तो उसका भयभीत रहना तुम्हारे भय का गुप्त बीज है।