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प्रेमचंद के उद्धरण

ग़रीबों की छाती पर दुनिया ठहरी हुई है, यह कठोर सत्य है। हरेक आंदोलन में ग़रीब लोग ही आगे बढ़ते हैं, यह भी अमर सत्य है।