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कुबेरनाथ राय के उद्धरण

गंगा गोमुख से निकलती है और इसका स्वभाव एवं चरित्र भी पयस्वला धेनु की तरह है जो अपने बछड़े के लिए रँभाती-दौड़ती घर को लौट रही हो