कुबेरनाथ राय के उद्धरण
किसी भी जाति की मूलप्रवृति का सच्चा थर्मामीटर है उस जति का काव्य साहित और उसकी बौद्धिक गम्भीरता तथा उदात्तता का परिचायक है निबंध साहित्य।
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