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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

चरित्र-दर्शन तो हमें तब तक ठीक-ठीक नहीं हो सकता, जब तक हममें चरित्र-संबंधी मूलभूत जिज्ञासा न हो।