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जे. कृष्णमूर्ति के उद्धरण

बुद्धत्व का आगमन दूसरे द्वारा नहीं होता, इसका आगमन स्वयं आपके अवलोकन एवं स्वयं की समझ से ही होता है।

अनुवाद : हरीश