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भामह के उद्धरण

विशेष गुणासाम्य बताने की इच्छा से, विशिष्ट के साथ न्यून की भी समान कार्यकारिता प्रतिपादित करना तुल्ययोगिता कहलाता है।

अनुवाद : रामानंद शर्मा