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श्री अरविंद के उद्धरण

भगवान् को सर्वभावेन जानना यह जानना है कि वे ही एक भगवान् आत्मा में हैं, व्यक्त चराचर जगत् में हैं और समस्त व्यक्त के परे हैं, और यह सब एकीभाव से और एक साथ हैं।