Font by Mehr Nastaliq Web

गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

बाल्यकाल, नवयौवन और तारुण्य के विभिन्न उषःकालों में; जिज्ञासा हृदय का छोर खींचती हुई, आकर्षण के सुदूर ध्रुव-बिंदुओं में हमें जोड़ देती है।