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वीरू सोनकर

1977 | कानपुर, उत्तर प्रदेश

नई पीढ़ी के कवि। गद्य-लेखन में भी सक्रिय।

नई पीढ़ी के कवि। गद्य-लेखन में भी सक्रिय।

वीरू सोनकर का परिचय

वीरू सोनकर का जन्म 9 जून 1977 को कानपुर में हुआ। उन्होंने कानपुर से ही स्नातक और शिक्षा-स्नातक की पढ़ाई की है। सोशल मीडिया से सामने आए नई पीढ़ी के कवियों में से एक हैं जिन्होंने तेज़ी से अपनी पहचान बनाई है। ब्लॉग और वेब पत्रिकाओं से कविताओं के प्रकाशन की शुरुआत हुई जिसके बाद से प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों से कविता पाठ के लिए आमंत्रित होते रहे हैं। 

वह उन समकालीन कवियों में एक नहीं लगभग इकलौते हैं, जिनके यहाँ प्रतिबद्धता बहुत आवेग के साथ व्यक्त होती है। उनके अब तक उपलब्ध कविता-संसार में ‘धूमिलियन’ आवाज़ें बहुत ज़िम्मेदारी के साथ नई होकर सुनाई देती हैं। वह उन कवियों से अलग हैं, जो तत्क्षण स्वीकृति की चाह में अस्मितावाद की चालू कविताएँ लिखते हैं। उनकी कविता इस अर्थ में हिंदी की समकालीन कविता है, क्योंकि वह अपने समकालीनों से सीधे टकराती है और यह करते हुए वह अपने लिए कोई आरक्षण या कहें छूट नहीं चाहती। उन्हें अंतर्व्याप्त यंत्रणा और प्रतिरोध की विलक्षण कविताओं का कवि भी कहा गया है। 

उनका पहला काव्य-संग्रह ‘मेरी राशि का अधिपति एक साँड’ है 2020 में प्रकाशित हुआ है। कविताओं के अतिरिक्त गद्य-लेखन में भी सक्रिय हैं। 

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