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सौरभ अनंत

1984 | उज्जैन, मध्य प्रदेश

नई पीढ़ी से संबद्ध कवि-लेखक और कलाकार।

नई पीढ़ी से संबद्ध कवि-लेखक और कलाकार।

सौरभ अनंत का परिचय

सौरभ अनंत हिंदी की नई पीढ़ी के कवि-लेखक और कलाकार हैं। उनकी कहन कविता में प्रेम और सौंदर्य को फिर-फिर बसाने वाली कहन है।  

मूलतः रंगमंच-निर्देशक के रूप में कार्यशील सौरभ अनंत फाइन आर्ट्स में स्नातक हैं। दृश्य, श्रव्य तथा प्रदर्शनकारी कलाओं में स्वाभाविक रुचि होने के कारण उनके भीतर संवेदनशीलता, वैचारिकता तथा सौंदर्यबोध का सहज विकास हुआ। इसकी ही अभिव्यक्ति गहरी साहित्यिक रुचि और कविता-लेखन में भी हो रही है। 

भोपाल के भारत भवन के प्रश्रय में संगीत, नृत्य, रंगमंच, चित्र एवं मूर्तिकला की परम्पराओं और नवाचारों से उनका परिचय होता रहा। फलस्वरूप भारतीय नाट्य परंपरा में प्रयोगधर्मिता का समावेश करते हुए ऐसे रंगकर्म की खोज में अग्रसर हुए जिसमें हमारे समय के सामाजिक सरोकारों के साथ गहरा सौंदर्यबोध भी हो। वर्ष 2011 में 'विहान' की स्थापना युवा कलाधर्मियों को प्रोत्साहन तथा मंच देने के उद्देश्य से की। प्रख्यात साहित्यकार डॉ. धर्मवीर भारती की सुप्रसिद्ध काव्य-रचना 'कनुप्रिया' से निर्देशन का आरंभ किया। इसके अतिरिक्त, विजयदान देथा की कहानी 'सपनप्रिया', लोकशैली पर आधारित 'एक कहानी बस्तर की' साहित्यिक कहानी पर आधारित नाटक ‘प्रेम पतंगा' का निर्देशन किया। महामात्य वत्सराज द्वारा लिखित संस्कृत प्रहसन ‘हास्यचूड़ामणि’ का बुंदेली बोली में रंग-निर्देशन, तेत्सुको कोरियानागी की आत्मकथा 'तोत्तो चान' का हिंदी में रंग-आलेख तथा निर्देशन, ग्रीष्मकालीन बाल नाट्य कार्यशाला में 'चरनदास चोर’ का निर्देशन आदि उनकी अन्य उपलब्धियाँ हैं। उनकी अभिरुचि चित्रकला में भी रही है और इंदौर, जयपुर, अहमदाबाद जैसे कई शहरों में उनकी पेंटिंग्स का प्रदर्शन हुआ है। 

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