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श्यामाचरण दुबे

1922 - 1996 | नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश

अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त समाजविज्ञानी। हिंदी में 'समय और संस्कृति' और 'परंपरा और परिवर्तन' शीर्षक से दो चर्चित पुस्तकें।

अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त समाजविज्ञानी। हिंदी में 'समय और संस्कृति' और 'परंपरा और परिवर्तन' शीर्षक से दो चर्चित पुस्तकें।

श्यामाचरण दुबे का परिचय

मूल नाम : श्यामाचरण दुबे

जन्म : 25/07/1922 | नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश

निधन : 04/02/1996

प्रो. श्यामाचरण दुबे अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त समाजविज्ञानी हैं। लोक-संस्कृति एवं आदिवासियों का जीवन और उनकी समस्याओं से आरंभ कर उन्होंने ग्रामीण जीवन, सामाजिक परिवर्तन, विकास एवं आधुनिकीकरण, शिक्षा, परंपरा, संस्कृति, साहित्य आदि अनेक विषयों पर गवेषणात्मक लेखन किया। वे प्रारम्भ से ही हिंदी तथा अँग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखते रहे, लेकिन जीवन के आखिरी वर्षों में उन्होंने हिंदी को ही अभिव्यक्ति का प्रमुख माध्यम बनाया था। इन दोनों भाषाओं में प्रकाशित पच्चीस से अधिक पुस्तकें—प्रो. दुबे की बौद्धिक अभिरुचि एवं अभिव्यक्त प्रतिबद्धता के विस्तार की साक्षी हैं। उनकी पुस्तक 'इण्डियन विलेज' को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक 'क्लासिक' के रूप में मान्यता मिली और उसके अनुवाद अनेक विदेशी और भारतीय भाषाओं में प्रकाशित हुए।

प्रो. दुबे को एक यशस्वी विचारवान मानवविज्ञानी और परंपरा तथा संस्कृति के प्रखर अध्येता के साथ ही, एक प्रभावशाली वक्ता के रूप में भी जाना जाता रहा है। एक यशस्वी शिक्षक और अनुसंधानकर्ता होने के अलावा वे एक कुशल शैक्षिक प्रशासक भी रहे। राष्ट्रीय सामुदायिक विकास-संस्थान के प्राचार्य, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला के निदेशक, जम्मू विश्वविद्यालय के कुलपति और मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा अनुदान आयोग के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने अपनी क्षमताओं का परिचय दिया। साहित्य, संस्कृति तथा समाजविज्ञान के शीर्षस्थ सम्मानों और पुरस्कारों के निर्णायक मण्डलों के सदस्य भी वे रहे।


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