संध्या चौरसिया के बेला
11 अक्तूबर 2025
दिल्ली आना और दिल्ली से जाना एक जैसा नहीं होता है!
सखी दिल्ली, कैसी हो? मुझे पहचाना? मैं वही लड़की जो पहले रोज़गार के लिए तुमसे पहली बार मिली थी, उस मौसम में जिसके लिए तुम्हें सबसे ज़्यादा कोसा और प्यार किया जाता है। जिस मौसम तुम कोहरे में कुछ धुँ