नन्नय्य भट्ट के उद्धरण


सभी पुण्य तीर्थों का पर्यटन करना, सभी व्रत-पूजा करना, और सभी दान-धर्म के पुण्य कार्य प्राणदान से समानता नहीं रख सकते हैं। प्राणदान से बढ़कर पुण्यकार्य और कोई भी नहीं है।
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