कल की बात
समय जाते देर नहीं लगती। पंद्रह वर्ष बीत चुके; पर जान पड़ता है कि अभी कल की बात है। सन् 1916 में मैं तीसरी बार इंट्रेंस की परीक्षा देने बैठा था।
दो साल मैं लगातार फ़ेल हो चुका था। और चीज़ों में मैं ज्यों-त्यों पास भी हो जाता; पर गणित का विषय मुझे अंत