[ लेकिन अब बच नहीं पाओगे, तुम मेरी व्यंग्योक्तियों से : केटेलस ]
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जब मैंने तुम्हें खोया तब खोया हम दोनों ने :
मैंने खोया क्योंकि तुम्ही थीं जिसे चाहा सबसे ज़्यादा मैंने
और तुमने खोया क्योंकि मैं ही था तुम्हें चाहने वाला सबसे ज़्यादा
लेकिन हम दोनों में से तुमने मुझसे ज़्यादा खोया :
क्योंकि मैं तो दूसरों को भी उसी तरह प्यार कर सकता हूँ जैसे तुम्हें किया
लेकिन तुम वैसा प्यार कभी नहीं पाओगी जैसा मैंने किया तुम्हें
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अरी छोकरियो, जो एक दिन पढ़ोगी ये कविताएँ ऊभ-चूभ होते हुए
और देखोगी किसी कवि के सपने :
जानो कि मैंने लिखा उन्हें तुम्हारे जैसी एक लड़की के लिए
और वह सब अकारथ गया
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उसने मुझे बताया कि तुम डूबी हो किसी और पुरुष के प्यार में
मैं सीधे अपने कमरे में गया
और सरकार के ख़िलाफ़ वह लेख लिखा मैंने
जिसकी बदौलत मुझे जेल हुई
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तुम जो गर्व करती हो मेरी कविता पर
इसलिए नहीं कि वे मैंने लिखीं
बल्कि इसलिए कि उनका उत्स तुम हो
बावजूद इसके कि वे लिखी गई तुम्हारे ख़िलाफ़,
उत्प्रेरित कर सकती थीं तुम इससे भी अच्छी कविता
उत्प्रेरित कर सकती थीं तुम इससे भी श्रेष्ठ काव्य
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गुप्त रूप से मैंने बाँटे हैं छपे पर्चे
अमर रहे स्वतंत्रता! चिल्लाते हुए बीच गली
ठेंगा दिखाते हुए सशस्त्र सैनिकों को
मैंने हिस्सा लिया अप्रैल-विद्रोह में
लेकिन पीला पड़ जाता हूँ गुज़रते तुम्हारे घर के बाज़ू से
और तुम्हारी एक नज़र थरथर कँपा देती है मुझे
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तुम अकेली हो भीड़ में
जैसे चंद्रमा अकेला है
जैसे अकेला है सूर्य आकाश में
कल तुम स्टेडियम में थीं
हज्ज़ारों लोगों के बीच
और मैंने तुम्हें चीन्ह लिया घुसते ही
मानो तुम अकेली हो
किसी ख़ाली स्टेडियम में
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याद करो उन अनगिनत ख़ूबसूरत लड़कियों को जो हुईं :
तमाम, सुंदरियाँ ट्रॉय की, एचिया की
थेब्स की कामिनियाँ, और प्रापरटियस के रोम की,
कितनों ने उनमें से परवा न की प्यार की,
और वे मर गई, शताब्दियाँ हो गईं उनको दिवंगत हुए
तुम जो प्यारी लगती हो इस वक़्त मानामुआ की गलियों में
उन्हीं की तरह हो जाओगी, बात गए-गुज़रे ज़मानों की
जब रूमानी खंडहर होंगे पेट्रोलपंप।
याद करो ट्रॉय की गलियों में भागती सुंदरियों को।
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हर शाम वह टहलती अपनी माँ के साथ लंदस्त्रासे के किनारे
और उस चौक के मोड़ पर हर शाम,
वहीं, इंतज़ार करता होता हिटलर, उसे गुज़रते देखने के लिए
भरी होतीं टैक्सियाँ और बसें—चुंबनों से
और जोड़े किराए से ले रहे होते नावें दूना नदी पर
लेकिन उसे आता नहीं था नाचना। उसने हिम्मत नहीं की कभी उससे बोलने की
बाद में वह गुज़रती बिना अपनी माँ के, किसी रंगरूट फ़ौजी के साथ
और उसके बाद तो वह वहाँ से गुज़री ही नहीं
इसी वजह से हमने भुगते गेस्टापो, आस्ट्रिया पर क़ब्ज़ा
विश्वयुद्ध
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[ एक लड़की का गीत ]
मेरे लंबे केश! मेरे लंबे केश!
लंबे हों केश
चाहते थे तुम कि केश लंबे हों तुम्हारी प्रिया के
अब मेरे कंधे से नीचे तक आ गए
लेकिन तुम रुके नहीं मेरे केश बढ़ने तक
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जागते हैं हम
बंदूक़ों की आवाज़ से
हवाई जहाज़ों की आवाज़ से भोर—
भरम होता है क्रांति का
जबकि जन्मदिन है महज़ आततायी का
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एलेना : एन्ड्रोमेडा तारक पुंज
700,000 ज्योति वर्ष की दूरी पर
जो देखा जा सकता है आँखों से किसी उजली रात,
तुमसे ज़्यादा क़रीब है
एन्ड्रोमेडा से औरों की सूनी आँखें देखेंगी मुझे,
अपनी रात में तुम्हें नहीं देख पाता मैं
एलेना दूरी समय है, और समय उड़ता है
2000 लाख मील फ़ी घंटे की रफ़्तार से ब्रह्मांड
फैल-बढ़ रहा है अनस्तित्व की ओर
और तुम करोड़ों बरसों की-सी दूरी पर हो मुझसे
- पुस्तक : पुनर्वसु (पृष्ठ 213)
- संपादक : अशोक वाजपेयी
- रचनाकार : अर्नेस्तो कार्देनाल
- प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
- संस्करण : 1989
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