तुम्हें और तुम्हें ही प्यार करती हूँ
tumhein aur tumhein hi pyaar karti hoon
आऊलिक्की ओकसानेन
Aulikki Oksanen

तुम्हें और तुम्हें ही प्यार करती हूँ
tumhein aur tumhein hi pyaar karti hoon
Aulikki Oksanen
आऊलिक्की ओकसानेन
और अधिकआऊलिक्की ओकसानेन
तुम्हें और तुम्हें ही प्यार करती हूँ
रात मेरे सर पर अँधेरे की माला से दबाव डालती है
ताकि मैं तुम्हें न देख पाऊँ।
कैसे चिड़िया अपने पंख मोड़ती है!
कैसे बहता है पानी चट्टानों के नीचे से!
कैसे उठते हैं जंगल हवाओं के साथ!
और कैसे बादलों की वर्षा हो जाती है ठोस पत्थरों में।
तुम्हें और तुम्हें ही प्यार करती हूँ
रात मेरे सर पर अँधेरे की माला से दबाव डालती है
ताकि मैं तुम्हें न देख पाऊँ।
कैसे व्योम मुझे पुकारता है!
कैसे गुज़रते हुए तारे चीख़ते हैं!
कैसे बच्चे दुनिया के तटों पर रोते हैं!
और समुद्रों के ऊपर उठता है धुँआ हृदयों से!
तुम्हें और तुम्हें ही प्यार करती हूँ
तुम्हारा मुलायम हाथ दिखता है
जैसे अलस्सुबह, नाव नदी पर।
- पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 225)
- संपादक : वंशी माहेश्वरी
- रचनाकार : आऊलिक्की ओकसानेन
- प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
- संस्करण : 2020
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