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तीजा

tija

दीपक नवीन

और अधिकदीपक नवीन

    तीज में

    घर के बेटों के साथ बहनें ही मायके नही आतीं

    उनके साथ आता है 'तीजा'

    जब बेटे कहते हैं 'तीजा लाए बर जावत हँव'

    रोज़ चूड़ियों की खन-खन के संगीत

    और आल्ता के चटक रंग के शृंगार से

    गाँव हो जाता है कोई सजा-संवरा लोकगीत

    बुआ का जानना गाँव मे दाई—बबा का हाल

    'बिकट दिन आए बेटी' का उनका मया-दुलार

    बताता है यह

    कि उसका अस्तित्व पसर गया है

    गाँव के कण-कण तक

    बुझ रहे दिए की आख़िरी लौ तक

    तीजहारिनों के जाने से

    गमक उठता है घर का चूल्हा

    ठेठरी, खुरमी,अइरसा से

    इधर बुआ अपने आँचल के कोने से

    बाँधती है पूजा का प्रसाद

    तब ईश्वर भी करते हैं उनके ममत्व को नमन

    दुनिया भर की प्यासी मानवता को जल देता है

    तीजा का निर्जला उपवास..!

    स्रोत :
    • रचनाकार : दीपक नवीन
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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