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टाला का पुल

tala ka pul

मधु सिंह

अन्य

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मधु सिंह

टाला का पुल

मधु सिंह

और अधिकमधु सिंह

    टाला का पुल

    कई दशकों से

    चुपचाप ढो रहा है

    हम सबको

    यानी

    सिटी आफ ज्वॉय

    की आबादी को

    पता है

    इस पुल से होकर

    लोग बढ़ते हैं मंजिल की ओर

    यह पुल

    दो किनारों को जोड़ने

    और

    रिश्तों को बनाए रखता है

    ख़ुद को झुकाकर

    वो बार-बार

    थामता है

    रिश्तों की डोर

    कई पीढ़ियों के बीच के तार को

    संवादों का यह पुल

    शब्दों की सक्रियता

    को बनाए रखा दशकों तक

    और आज

    नि:शब्द खड़ा है

    आपने देखा!

    टाला के पुल को

    कुछ सीखा

    कैसे की जाती है मध्यस्थता?

    कैसे बिछा देता है वह ख़ुद को

    रास्ता बन

    संवाद का

    यह टाला का पुल

    महज़ एक माध्यम नहीं है

    यह है

    हमारी जाति के असंख्य दुखों

    और पीड़ाओं का वाहक

    यह कई भाषाओं और बोलियों

    का भी पुल है

    जो शब्दों की सक्रियता को

    बचाए रखता है

    बचाए रखता है

    असंख्य सहमतियों

    और कई बार

    घोर असहमतियों के बीच भी

    थामे रखता है

    संबंधों की डोर

    यह थामे रखता है

    रिश्तों की मिठास को

    इन दिनों

    ढहाया जा रहा है इसे

    यह दौर

    पुलों के टूटने का है

    पुराने धीरे-धीरे

    जर्जर हो गए हैं

    इन दिनों

    जो नए पुल बन रहे हैं

    वे बहुत कमजोर हैं

    मिलावटी और संवेदन शून्य

    इसलिए जल्दी टूट रहे हैं

    आजकल के रिश्तों की तरह

    काश हम पुराने पुल से

    कुछ ले पाते

    ले पाते धैर्य

    मज़बूती

    अपनत्व

    प्रतिबद्धता

    और सबसे आख़िर में

    उस पार सुरक्षित पहुँचने का

    भरोसा

    इसलिए अलविदा ना कहेंगे

    टाला का पुल तुम्हें

    तुम्हारी भावना को रोपेंगे यहाँ

    ताकि बचा रहे संवाद

    बची रहे एक-दूसरे से मिलने की संस्कृति

    बचा रहे प्रेम

    तुम्हारी तरह

    सबकुछ ढोते-ढोते

    बचा रहे

    आदमी को आदमियत से जोड़ने का संस्कार

    इसलिए

    तुम्हें अलविदा ना कहेंगे

    टाला का पुल

    स्रोत :
    • रचनाकार : मधु सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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