आमिल पीबैत कहलनि ओ छोडू हमरा परतारू नै
बज्जर भऽ गेल मोनक धरती चासेविना समारू नै
ओना तँ हमहीँ जनकदुलारी, हमहीँ रामपियारी छी
तहूसँ बढ़िकऽ लवकुशसन बङ्का-वीरक महतारी छी
प्रेम-सृजन-शक्ति कहबैतो असलमे अबला नारी छी
तहीसँ जीवन-ओलतीमे टपटप चूबैत एकचारी छी
छोडू कहुना चोखाएल घाओक खैँठी एना ओदारू नै
बज्जर भऽ गेल मोनक धरती, चासेविना समारू नै
त्रेता युगके सीता छी आ द्वापरके द्रौपदी छी हम
तीरभुक्तिमे बहैत सभटा निज नोरहिके नदी छी हम
कोमल-प्रेमिल-हृदयवासिनी युगयुगन्तसँ यदि छी हम
आइ चेतनासँ परिपूरित नव एक्कइसम सदी छी हम
दर्दक दस्तावेज लिफाफा, विनु तैयारी फारू नै
बज्जर भऽ गेल मोनक धरती, चासेविना समारू नै
नारी-मानक विन पुरखारथ, तकरा आब फजूल बुझू
सदिखन आगू बढ़बालए पगपग दुन्नूक समतूल बुझू
सहयात्राकेँ दुनिया भरिकेर खुशी आ सुखक मूल बुझू
तखनहि जीवनके बगियामे महमह गमकत फूल बुझू
विनु जुटियौने प्रेमक खुहरी झुट्ठे आँच पजारू नै
बज्जर भऽ गेल मोनक धरती, चासेविना समारू नै
- पुस्तक : ई-मिथिला
- संपादक : बालमुकुन्द
- रचनाकार : धीरेन्द्र प्रेमर्षि
- संस्करण : 2025
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