Font by Mehr Nastaliq Web

ओ बाट, जे आम अछि

o baat, je aam achhi

ज्योत्स्ना चन्द्रम्

अन्य

अन्य

ज्योत्स्ना चन्द्रम्

ओ बाट, जे आम अछि

ज्योत्स्ना चन्द्रम्

और अधिकज्योत्स्ना चन्द्रम्

    हमर आँगनक देहरि लग आबि कऽ

    बिनु किछु कहनहि

    एना तऽ नहि घुरि जाउ अहाँ!

    हम साफ-साफ अकानलंहुँ अछि

    अहाँक दबल पएरक आहटि कें

    अपन हद धरि

    प्रतीक्षा कएलहुँ अछि निरन्तर

    अहाँक चिन्तारहित दस्तक कें...

    अहाँक साँसक कम्पन सेहो

    अनुभव कएलक अछि हमर रोम-रोम

    अन्हरियाक सियाही मे लेभराएल

    अस्तित्व हमर

    एते अपरिचित भयावह तऽ नहि अछि!

    आउ,

    खोलैत छी अदौ सँ बन्न कएल खिड़कीकें

    शीतल बसातक सिंहकी मे घुलल-मिलल

    साँस कें बिहरए दैत छिए...

    आधा आँखि खोलिकऽ

    हुलकी मारत चान—

    ओकरहि नीम-उजास इजोत मे

    ताकि-हेरि लेब हम-अहाँ

    अपन-अपन

    भुतिआएल-सुखाएल आकार

    इच्छा उसाहलक अछि

    चलबाक लेल डेग

    अपन कमाएल प्रज्ञाक उपयोग लेल

    अपन उपस्थितिक लेल

    ताकि लेलक अछि अपन बाट

    बाट, जे 'आम' अछि

    जकरा अदौ सँ अहाँक मोनी की

    'खास' बनाकऽ रखने रहल अछि

    एखनो बनाकऽ राख चाहैत अछि

    यथास्थिति

    अहाँ रोष नहि मानब—

    इच्छा,

    उसाहलक अछि चलबाक लेल डेग

    पकड़बाक लेल गति

    इच्छा

    कएलक अछि अँगैठीमोड़...

    स्रोत :
    • पुस्तक : समग्र ज्योत्स्ना (पृष्ठ 35)
    • संपादक : विभूति आनन्द
    • रचनाकार : ज्योत्स्ना चन्द्रम्
    • प्रकाशन : नवारम्भ
    • संस्करण : 2017

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY