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नीति आ प्रेम

niti aa prem

रोमिशा

अन्य

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रोमिशा

नीति आ प्रेम

रोमिशा

और अधिकरोमिशा

    सियाह कारी राति

    दुनियाक हो-हल्लासँ

    कतहु बेसी जोरसँ चिचिअबैत

    अपन अन्तरात्मा

    इजोरियामे नहायल नदीक कलरव

    ओकर बाउलपर लिखल प्रेमक नाम

    सौंसे दुनियाक ओहिपर केन्द्रित तिक्ख दृष्टि

    जाहिमे अगबे घृणा अछि

    जँ ओकर सक्क रहय

    तँ नदीक गादिसँ मेटा देअय

    एहि अढाइ आखरक अस्तित्व

    ओहि नदीक तटपर विवश अछि

    संवेदनशील मनुक्ख

    नष्ट कऽ देबाक लेल अपन

    मानवीय संवेदना

    बदलि रहल अछि स्वयंकेँ

    कोनो धरगर औजारमे

    जाहिसँ अपन अस्तित्वक लेल

    बना सकय

    अपन हित हाथमे स्पष्टतः

    जेँ कि प्रेमक सौन्दर्यबोध

    समूह थिक

    तेँ सर्वथा मुक्त होइछ

    पापबोध कुंठासँ

    स्पष्ट एतेक जे

    ओकरा कखनो जरूरति नहि होइछ

    अपन शब्द लेल

    ककरो आनक आवाजक

    जनैत अछि

    अपन हिस्साक तामस मनौअलिकेँ

    स्वयं प्रकट करब

    तेँ हमर प्रेम कविता

    अहाँ आयब हमरा लग

    ओहि दिन

    जखन गबैत रहब हम

    मृत्यु गीत

    जरि रहल होयत हमर देह

    मुक्त होइत रहत हमर आत्मा

    एखन हम जीवन यात्राक विवशतामे छी

    जकर पहिल शर्त्त थिक प्रेम कविताक मृत्यु

    बिनु मारने अहाँकेँ संभव नहि

    साम, दाम, दंड, भेदक नीति अपनेनाय

    विजित होयब जीवन-समरमे।

    स्रोत :
    • पुस्तक : फूजल आँखिक स्वप्न (पृष्ठ 21)
    • रचनाकार : रोमिशा
    • प्रकाशन : किसुन संकल्प लोक
    • संस्करण : 2019

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