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मेरे शरीर पर बेतरह रोएँ

mere sharir par betarah roen

अनुवाद : सुरेश सलिल

येहूदा आमिखाई

येहूदा आमिखाई

मेरे शरीर पर बेतरह रोएँ

येहूदा आमिखाई

और अधिकयेहूदा आमिखाई

    मेरे सारे शरीर पर बेतरह रोएँ उग आए हैं

    डर है कि इन रोओं की वजह से वे मुझे आखेट की वस्तु मान लें।

    मेरी रंग-ब-रंगी क़मीज़ का प्यार से कोई ता'अल्लुक़ नहीं—

    वह किसी रेलवे स्टेशन के हवाई फ़ोटो जैसी नज़र आती है।

    रात में कंबल के नीचे मेरा जिस्म डरा और जगा हुआ

    कोर्टमार्शल किए जाने वाले किसी आदमी की, पर्दे से ढक दी गई

    आँखों जैसा,

    भटकता रहूँगा मैं, बेचैन, यहाँ-वहाँ

    ज़िंदगी के लिए तरसता मर जाऊँगा।

    तब भी, बरबाद हो चुके सारे शहरों के किसी टीले की भाँति

    मैंने ख़ामोश रहना चाहा, और किसी

    पूर चुके क़ब्रिस्तान जैसा सुकूनमंद।

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 369)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : येहूदा आमिखाई
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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