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अँधेरा मेरा, सवेरा तेरा

andhera mera, savera tera

श्रेया शिवमूर्ति

श्रेया शिवमूर्ति

अँधेरा मेरा, सवेरा तेरा

श्रेया शिवमूर्ति

और अधिकश्रेया शिवमूर्ति

    अँधेरा डर लेकर आता है और सवेरा?

    सवेरे डर भाग जाता है इसीलिए सवेरा सबको भाता है

    सवेरे नींद से दूर होते हैं और सपने भी नहीं आते

    सवेरे आप अपनी सिसकियाँ नहीं छुपा सकते

    सवेरे आप अपनी हिचकियाँ नहीं दबा सकते

    सवेरे आप नहीं मोड़ सकते मुँह अपने परेशान चेहरे से

    दर्पण में सब अर्पण किया जा सकता है मगर मन के भीतर का शोर…?

    वो दर्पण के भीतर खड़ा व्यक्ति आपको आपसे बेहतर पहचानता है

    सवेरे की खूबियाँ कितनी भी हो मुझे अँधेरा ही चाहिए

    जब मेरे पूर्वजों की जायदाद में मेरा नाम लिखा जाए तो

    खानदान के सारे अँधेरे मेरे नाम कर देना

    घर की सारी परेशानियाँ, उधार-ब्याज के सारे बही-खाते,

    घर पर मँडराने वाली तमाम बुरी शक्तिओं का प्रकोप

    रिश्तेदारों के ताने, पड़ोसियों की उलाहने

    या फिर किसी से किसी की तुलना करनी हो…

    किसी को छोटा बताना हो,

    किसी को नीच कहना हो…

    अपनी बुरी किस्मत का ठीकरा किसी के सिर मढ़ना हो

    तो मेरा नाम सबसे ऊपर रखना

    क्योंकि इन सभी डर से लड़ने का हथियार है सवेरा लेकिन मुझे तो अँधेरा पसंद है

    अँधेरे में मुझे ये सब अपने लगेंगे और मैं इनका हो जाऊँगा

    स्रोत :
    • रचनाकार : श्रेया शिवमूर्ति
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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