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कोई मैं झूठ बोलिया

koi main jhooth boliya

रफ़ीक़ शादानी

अन्य

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रफ़ीक़ शादानी

कोई मैं झूठ बोलिया

रफ़ीक़ शादानी

और अधिकरफ़ीक़ शादानी

    जेके हाथ मा कुल्हड़ चाही बहिका मिला गिलास

    मंत्री अठवाँ फेल अहय चपरासी बीए पास

    कोई मैं झूठ बोलिया, कोई मैं जहर घोलिया

    कोई ना, हो कोई ना, हो कोई ना

    बहिया झूरा देखकर मगन भये लेखपाल परधान

    अपनी-अपनी ओर का खींचय सरकारी अनुदान

    कोई मैं झूठ बोलिया...

    नगर-नगर मा आग लगी हय बहय मनुस कय खून

    गूँगे-बहरे के कमरे मा लगा हय टेलीफून

    कोई मैं झूठ बोलिया...

    अस्पताल मा जात हयँ गरीब मुफलिस लोग

    यस दवाई दिहिन डॉक्टर रोगी रहय रोग

    कोई मैं झूठ बोलिया...

    एक ग्वाला दूध मा दूना डारि चुका जब जल

    चलय लाग तो हँसिके बोला जय हो राजा नल

    कोई मैं झूठ बोलिया...

    जुम्मन जब मिलाद कराइन आये मनई आठ

    दूसरे दिन जब चला बीडियो जुटे पाँच सौ साठ

    कोई मैं झूठ बोलिया...

    राजा बनिके उमिर बिताइन जेकय दादा बाबा

    ठकुरै अब गिलास धोवयँ खोलिके होटल ढाबा

    कोई मैं झूठ बोलिया...

    स्रोत :
    • पुस्तक : जियौ बहादुर खद्दरधारी (पृष्ठ 49)
    • संपादक : अटल तिवारी, अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी
    • रचनाकार : रफ़ीक़ शादानी
    • प्रकाशन : परिकल्पना, दिल्ली
    • संस्करण : 2025

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