रफ़ीक़ शादानी अवधी क बहु चर्चित, जनप्रिय अउर समाज-चेतन कवि रहेन। आपन कवितन में अवधीक लोक-संस्कृति, गाँव-समाजक बोली-बानी, अउर आम आदमीक दुख-दर्द क अइस तरह बयाँ करत रहिन कि हर आदमी उनक बात आपन समझत। उहाँक कविता के सबसे बड़ा गुण रहल हँसी में छिपल सच्चाई। रफ़ीक शादानी हँसावत-हँसावत समाज अउर राजनीति क नंगा सच सामने रख देत रहिन। उहाँक व्यंग्य में करारी चोट रहत, पर ओह में कड़वाहट नाहीं—ओह में मिठास अउर सुधार क भावना रहत। उहाँक रचना में साम्प्रदायिक सौहार्द, भाईचारा अउर मानवीय मूल्य के गहर भाव मिलत। उ धर्म अउर जात-पात के भेदभाव से ऊपर उठिके मनुष्यता के परचम लहरावत रहिन। अवधी बोलीक प्रयोग करत-करत उह समाजक हर वर्ग से बात करत रहिन—किसान, मजदूर, बुढ़वा, लइकी, सब ओहक कविता में जियत-जागत पात्र बनिके आ जात रहिन।