भारतीय शिक्षा बोर्ड की हिंदी पाठ्य-पुस्तकों का विमोचन
हिन्दवी डेस्क
18 दिसम्बर 2024

दिनांक 12 दिसंबर 2024 को साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली, रवींद्र भवन के सभागार में आयोजित भारतीय शिक्षा बोर्ड की हिंदी की पाठ्य-पुस्तकों के विमोचन एवं पतंजलि योगपीठ (ट्रस्ट) तथा भारतीय शिक्षा बोर्ड के संयुक्त तत्त्वाधान में आयोजित सम्मान समारोह में समादृत साहित्यकार रामदरश मिश्र को ‘पतंजलि शिक्षा गौरव सम्मान’ प्रदान किया गया।
समारोह में उपस्थित आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष एन.पी. सिंह ने कहा कि रामदरश मिश्र को सम्मानित कर पतंजलि योगपीठ एवं भारतीय शिक्षा बोर्ड स्वयं को सम्मानित कर रहा है। हम सौभाग्यशाली हैं जो ऐसे युग-नायक को देख-सुन रहे हैं तथा आपके मार्गदर्शन में बोर्ड की हिंदी की पाठ्य-पुस्तकें मूर्त रूप ले रही हैं।
रामदरश मिश्र ने इस अवसर पर अपनी कुछ कविताओं का पाठ किया तथा कहा कि उनके दीर्घायु होने का रहस्य उनकी महत्त्वाकांक्षों से मुक्त जीवन-शैली है।
सम्मान-समारोह के उपरांत भारतीय शिक्षा बोर्ड की हिंदी की पाठ्य-पुस्तकों की कक्षा-1 से आठ तक की शृंखला का विमोचन सम्मानित सलाहकार मंडल एवं पाठ्य-पुस्तक निर्माण समिति के करकमलों से हुआ। इस गौरवमयी बेला के साक्षी सुप्रसिद्ध साहित्यकार, पत्रकार, संपादक, शिक्षाविदों का समूह रहा। बोर्ड के सलाहकार मंडल के सदस्य क्रमशः प्रमोद दुबे, क्षमा शर्मा, सूर्यनाथ सिंह, ओम निश्चल, कमलेश कमल, स्मिता मिश्र, रवि शर्मा, अर्चना त्रिपाठी तथा पाठ्य-पुस्तक निर्माण समिति के सदस्य सुधा शर्मा, देवेश, मिथिलेश शुक्ल, सुधांशु कुमार, विजयलक्ष्मी पांडेय, नारायण दत्त मिश्र, पिंकी उपाध्याय, ज़ेबी अहमद, प्रदीप ठाकुर, केशव मोहन पांडेय, इंदुमती मिश्र, अनुराग पांडेय मंच पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन पाठ्य-पुस्तकों की समन्वयक सोनी पांडेय ने किया।
पाठ्य-पुस्तकों के सलाहकार संपादक प्रमोद कुमार दुबे और ओम निश्चल ने पाठ्य-पुस्तकों की विशेषता क्रमवार बताते हुए उपस्थित समूह से अनुरोध किया कि पाठ्य-पुस्तकों का अवलोकन कर भावी पीढ़ी के विकास-क्रम का उन्हें वाहक बनाएँ, क्योंकि यह न केवल, भारतीय शिक्षा पद्धति की संवाहक है बल्कि स्वंय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ज्ञान-गंगा का सम्मिलन करने वाली भारतीय-ज्ञान-परंपरा की समर्थ थाती हैं।
पतंजलि योग पीठ ट्रस्ट की प्रतिनिधि, पतंजलि विश्वविद्यालय की डीन साध्वी देवप्रिया ने अपने वक्तव्य में सभी को इस श्रमसाध्य कार्य को पूर्ण करने हेतु शुभकामानाएँ दीं तथा साथ ही स्वयं को इस पावन क्षण का साक्षी मानते हुए सौभाग्यशाली बताया।
अंत में संस्था के सचिव राजेश प्रताप सिंह ने सम्मानित सभागार एवं समृद्ध मंच के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह भारतीय शिक्षा बोर्ड की पाठ्य-पुस्तकों के विमोचन का आग़ाज़ है, जो अब क्रमवार चलता रहेगा। उन्होंने उपस्थित जन-समूह को अवगत कराते हुए कहा कि बोर्ड की कक्षा 1 से 8वीं तक की पाठ्य-पुस्तकों का निर्माण-कार्य पूर्ण हो चुका है, जिसे बोर्ड राष्ट्र के नौनिहालों तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस अवसर पर रामदरश मिश्र के परिजन, विद्यार्थीं तथा साहित्य अकादेमी के उप सचिव कुमार अनुपम, राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति सत्यकाम, दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की महिला पतंजलि योग समिति की प्रभारी सविता तिवारी, अमरेंद्र पांडेय, वेद मिश्र, परमिंदर सिंह गुलिया, मानस मिश्र, राघवेंद्र सिंह के साथ-साथ दिल्ली एन.सी.आर के शिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए
कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें
आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद
हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे
बेला पॉपुलर
सबसे ज़्यादा पढ़े और पसंद किए गए पोस्ट
26 मई 2025
प्रेम जब अपराध नहीं, सौंदर्य की तरह देखा जाएगा
पिछले बरस एक ख़बर पढ़ी थी। मुंगेर के टेटिया बंबर में, ऊँचेश्वर नाथ महादेव की पूजा करने पहुँचे प्रेमी युगल को गाँव वालों ने पकड़कर मंदिर में ही शादी करा दी। ख़बर सार्वजनिक होते ही स्क्रीनशॉट, कलात्मक-कैप
31 मई 2025
बीएड वाली लड़कियाँ
ट्रेन की खिड़कियों से आ रही चीनी मिल की बदबू हमें रोमांचित कर रही थी। आधुनिक दुनिया की आधुनिक वनस्पतियों की कृत्रिम सुगंध से हम ऊब चुके थे। हमारी प्रतिभा स्पष्ट नहीं थी—ग़लतफ़हमियों और कामचलाऊ समझदारियो
30 मई 2025
मास्टर की अरथी नहीं थी, आशिक़ का जनाज़ा था
जीवन मुश्किल चीज़ है—तिस पर हिंदी-लेखक की ज़िंदगी—जिसके माथे पर रचना की राह चलकर शहीद हुए पुरखे लेखक की चिता की राख लगी हुई है। यों, आने वाले लेखक का मस्तक राख से साँवला है। पानी, पसीने या ख़ून से धुलकर
30 मई 2025
एक कमरे का सपना
एक कमरे का सपना देखते हुए हमें कितना कुछ छोड़ना पड़ता है! मेरी दादी अक्सर उदास मन से ये बातें कहा करती थीं। मैं तब छोटी थी। बच्चों के मन में कमरे की अवधारणा इतनी स्पष्ट नहीं होती। लेकिन फिर भी हर
28 मई 2025
विनोद कुमार शुक्ल का आश्चर्यलोक
बहुत पहले जब विनोद कुमार शुक्ल (विकुशु) नाम के एक कवि-लेखक का नाम सुना, और पहले-पहल उनकी ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ हाथ लगी, तो उसकी भूमिका का शीर्षक था—विनोद कुमार शुक्ल का आश्चर्यलोक। आश्चर्यलोक—विकुशु के