1910 - 1996 | जालंधर, पंजाब
शुक्लोत्तर युग के प्रमुख कथाकार, एकांकीकार और उपन्यासकार। निम्न-मध्यमवर्गीय यथार्थ चित्रण के लिए उल्लेखनीय।
[असम-प्रवास के दौरान सुरेंद्रपाल को लिखा गया यह पत्र किंचित संक्षिप्त रूप में ‘धर्मयुग’ में छपा था। कभी-कभी जब मैं बाहर जाता हूँ, मैं ऐसे पत्र लिखा करता हूँ। उद्देश्य उतना पत्र लिखना नहीं होता, जितना उस बहाने यात्रा के मनोरंजक विवरणों को पंक्तिबद्ध करना,
बुज़ - बकरा, कशी - खींचना जब हम दिल्ली से हवाई जहाज़ में मॉस्को के लिए बैठे थे तो हमें बताया गया था कि काबुल में हमें दूसरा जहाज़ तैयार मिलेगा। लेकिन जब ग्यारह-साढ़े ग्यारह बजे के क़रीब हमारा जहाज़ काबुल के एयरोड्रोम पर पहुँचा तो मॉस्को जाने वाला जहाज़
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