नाम के अक्षरों का जपना, उसके अर्थ का मनन करना, इस अर्थ-भाव को ध्यान में धारण करना, इसको जीवन में ढालना, तदनुरूप जीवन में कर्म करना और तदनुसार होने वाला जीवन अपना स्वाभाविक जीवन बनाना। इतना करने से ठीक जप हो सकता है और वह मनुष्य उन्नति कर सकता है।
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