इब्बार रब्बी के बेला
30 दिसम्बर 2025
वह भाषा के ईश्वर हैं
विनोद कुमार शुक्ल ने जैसी कविता लिखी है, वैसी किसी और ने नहीं लिखी है। यहाँ मुक्तिबोध की बात करें तो उनकी नक़ल संभव नहीं है। उनके समकालीन आलोचक तो उन्हें समझ ही नहीं पाए, क्योंकि वह बहुत अलग कवि थे।