तुम उसी सनातन पुरुष-समाज के नवीन प्रतिनिधि हो जिसने युगों से नारी को छल से ठगकर, बल से दबाकर विनय से बहकाकर और करुणा से गलाकर उसे हाड़माँस की बनी निर्जीव पुतली का रूप देने में कोई बात उठा नहीं रखी है।
शेयर
जीवन की परिस्थितियों का क्रूर यथार्थ मनुष्य के सहज स्वभाव को कैसे उलटे-सीधे घुमावों से मोड़ता है और आत्म-रक्षा की कैसी-कैसी विचित्र व्यावहारिक कलाएँ सिखाता रहता है, इस बात पर विचार करने पर कभी-कभी आश्वर्य होने लगता है।
शेयर
भारतीय नारी चाहे समाज के किसी भी स्तर में, किसी भी स्थिति में जीवन क्यों न बिताती हो, उसकी आत्मा अपनी मूलगत महानता का त्याग कभी नहीं करती।
शेयर
समाज में प्रतिदिन जो अपराधों और दुष्कर्मों की संख्याएँ बढ़ती चली जा रहीं हैं, उसका प्रधान कारण आज के युग की यही सहानुभूतिरहित, संवेदनाशून्य प्रवृत्तियाँ, विषम सामाजिक परिस्थितियाँ और सामूहिक भ्रष्टाचार ही है।
You have exhausted your 5 free content pages. Register and enjoy UNLIMITED access to the whole universe of Urdu Poetry, Rare Books, Language Learning, Sufi Mysticism, and more.