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नामवर सिंह

1926 - 2019 | वाराणसी, उत्तर प्रदेश

अत्यंत समादृत भारतीय लेखक। हिंदी आलोचना के शीर्षस्थ आलोचक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

अत्यंत समादृत भारतीय लेखक। हिंदी आलोचना के शीर्षस्थ आलोचक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

नामवर सिंह की संपूर्ण रचनाएँ

कविता 10

पत्र 1

 

आलोचनात्मक लेखन 2

 

निबंध 1

 

उद्धरण 21

आलोचना के इतिहास के बारे में जितनी पुस्तकें लिखी गई हैं, वे अपूर्ण-अधूरी ही नहीं हैं, बल्कि उनकी जो मूल दृष्टि है, वह अभावों का दुर्दांत उदाहरण है।

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आलोचना एक रचनात्मक कर्म है, यह दोयम दर्जे का काम नहीं है। यदि आप में सर्जनात्मकता नहीं है तो आप आलोचना नहीं कर सकते।

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आलोचना की मुख्य चुनौती समकालीन रचनाएँ ही होती हैं।

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कभी मैंने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि आलोचक बनूँगा।

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सभ्यता का विकास कवि-कर्म को कठिन बना देता है।

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पुस्तकें 1

 

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