रुपया मूल्य का मापदंड नहीं
यदि अन्य कानूनी शास्त्रों के समान इस भ्रामक शास्त्र, अर्थशास्त्र का उद्देश्य भी बल-प्रयोग के लिए बहाने ढूँढ़ना न होता तो उसका ध्यान इस विचित्र बात की ओर जाए बिना न रहता कि धन का वितरण-अर्थात् यह स्थिति कि कुछ लोग तो भूमि और पूँजी से वंचित कर दिए जाते