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यातना पर उद्धरण

यातना घोर शारीरिक या

मानसिक कष्ट की स्थिति है। इस चयन में उन कविताओं को शामिल किया गया है, जिनमें यातना एक केंद्रीय विषय है।

भूख-प्यास से इस देह को तड़पाना नहीं। ज्यों ही बुझने लगे, त्योंही इसे सँभालना। तेरे व्रत-उपवास और साज-सिंगार पर धिक्कार। उपकार कर यही तेरा परम कर्तव्य-कर्म है।

लल्लेश्वरी

अत्याचार के श्मशान में ही मंगल का, शिव का, सत्य-सुंदर संगीत का शुभारंभ होता है।

जयशंकर प्रसाद

विचारधाराओं और इच्छावृत्तियों के मार्मिक द्वंद्व ने मेरी रचना-शक्ति में ऐसी निष्क्रियता पैदा कर दी है कि मादकता में डूबकर एक पग भी चलना मुहाल है।

विजय देव नारायण साही