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समुद्र पर गीत

पृथ्वी के तीन-चौथाई

हिस्से में विशाल जलराशि के रूप में व्याप्त समुद्र प्राचीन समय से ही मानवीय जिज्ञासा और आकर्षण का विषय रहा है, जहाँ सभ्यताओं ने उसे देवत्व तक सौंपा है। इस चयन में समुद्र के विषय पर लिखी कविताओं का संकलन किया गया है।

लहर सागर का नहीं शृंगार

हरिवंशराय बच्चन

सागर की पूर्णिमा

शंभुनाथ सिंह

हे सागर संगम अरुण नील

जयशंकर प्रसाद

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