अवसाद पर ब्लॉग

अवसाद अपने सामान्य अर्थ

में उदासी, रिक्तता, निराशा, हताशा, ग्लानि, चिंता आदि को प्रकट करता है और इन्हें कविता और कला के लिए उत्प्रेरक लक्षणों की तरह देखा गया है। अपने गंभीर लक्षणों में यह एक मनोविकार है जो स्वयं के प्रति या दुनिया के प्रति हिंसा में भी बदल सकता है। मनोगतता से इसके संबंध के कारण यह हमेशा से कविता का विषय बनता रहा है।

हमारी इच्छाएँ हमारा परिचय हैं

हमारी इच्छाएँ हमारा परिचय हैं

यह सोचकर कितना सुकून मिलता है कि जिसे हम अपनी अस्ल ज़िंदगी में नहीं पा सके उसे एक दिन भाषा में पा लेंगे या भाषा में जी लेंगे या उसे एक दिन भाषा में जीने का मौक़ा ज़रूर मिलेगा। मुझे लगता है कि भाषा एक तरह

राकेश कुमार मिश्र
मुक्तिबोध का दुर्भाग्य

मुक्तिबोध का दुर्भाग्य

आज 11 सितंबर है—मुक्तिबोध के निधन की तारीख़। इस अर्थ में यह एक त्रासद दिवस है। यह दिन याद दिलाता है कि आधुनिक हिंदी कविता की सबसे प्रखर मेधा की मृत्यु कितनी आसामयिक और दुखद परिस्थिति में हुई। जैसा कि ह

सुशील सुमन
मृत्यु के आईने में जीवन कितना कुरूप दिखता होगा

मृत्यु के आईने में जीवन कितना कुरूप दिखता होगा

मन के गहरे में बस डूब है। ऐसी डूब, जिसमें उत्तरजीविता एक प्रश्न की तरह सतह पर छूट जाए। सतह पर जीवन की संभावना भी गुंजलकों के हुलिए में। डूब का समय अपनी जगह पर नहीं है। चेतना से भटका हुआ बस देह लिए मैट

आदर्श भूषण

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए