
आधुनिक सभ्यता रूपी लक्ष्मी जिस पद्मासन पर बैठी हुई है, वह आसन ईंट-लकड़ी से बना हुआ आज का शहर है।

सुख रूपी अमृत का पान करते हुए पूँजीपति वीर महलों में रमते हैं। किंतु उनके लिए जो स्वर्ग रचते हैं, वे कहीं गिरे-पड़े भूखों मरते हैं।
आधुनिक सभ्यता रूपी लक्ष्मी जिस पद्मासन पर बैठी हुई है, वह आसन ईंट-लकड़ी से बना हुआ आज का शहर है।
सुख रूपी अमृत का पान करते हुए पूँजीपति वीर महलों में रमते हैं। किंतु उनके लिए जो स्वर्ग रचते हैं, वे कहीं गिरे-पड़े भूखों मरते हैं।