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पूँजीपति पर उद्धरण

सुख रूपी अमृत का पान करते हुए पूँजीपति वीर महलों में रमते हैं। किंतु उनके लिए जो स्वर्ग रचते हैं, वे कहीं गिरे-पड़े भूखों मरते हैं।

वल्लथोल नारायण मेनन

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