
एक लेखक की जीवनी में—या यहाँ तक कि उसकी आत्मकथा में भी—हमेशा अपूर्णता रहेगी।

यथार्थ में इतिहास कुछ नहीं है, केवल जीवनचरित्र है।

वास्तव में इतिहास है ही नहीं, केवल जीवनचरित्र ही हैं।
एक लेखक की जीवनी में—या यहाँ तक कि उसकी आत्मकथा में भी—हमेशा अपूर्णता रहेगी।
यथार्थ में इतिहास कुछ नहीं है, केवल जीवनचरित्र है।
वास्तव में इतिहास है ही नहीं, केवल जीवनचरित्र ही हैं।
हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
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