
एक लेखक की जीवनी में—या यहाँ तक कि उसकी आत्मकथा में भी—हमेशा अपूर्णता रहेगी।

यथार्थ में इतिहास कुछ नहीं है, केवल जीवनचरित्र है।
एक लेखक की जीवनी में—या यहाँ तक कि उसकी आत्मकथा में भी—हमेशा अपूर्णता रहेगी।
यथार्थ में इतिहास कुछ नहीं है, केवल जीवनचरित्र है।