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गुरु नानक के उद्धरण

ये सारा जगत है तो छल, पर यही छल सभी जीवों को प्यारा लग रहा है, शहद की तरह मीठा लग रहा है, इस तरह यह छल सारे जीवों को डुबो रहा है।