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आदि शंकराचार्य के उद्धरण

यह विश्व क्या है? इसका रूप क्या है? पहले यह कैसा था? इसका उद्देश्य क्या है? —ऐसा कभी विचार न करके बुद्धिमान मनुष्य को 'यह विश्व माया है', ऐसा ही समझना चाहिए।