जी. शंकर कुरुप के उद्धरण

यह प्यारा जीवन जो आँसू और हँसी का रसायन है, अमूल्य होने पर भी क्षणिक है, जैसे धूप में छोटी-सी ओस की बूँद। इसको व्यर्थ क्यों खोते हो।
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