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श्यामसुंदर दास के उद्धरण

यह मनुष्य की शक्ति के अंतर्गत है कि वह केवल भिन्न-भिन्न प्राकृतिक चित्रों को ग्रहण कर उनका उ‌द्घाटन ही न करें, वरन् उनके संबंध में अपना मत, सिद्धांत अथवा नियम भी प्रकट करें।