Font by Mehr Nastaliq Web

रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

विद्यापति की कविता में प्रेम की भंगी, प्रेम का नृत्य, प्रेम का चांचल्य है; चंडीदास की कविता में प्रेम की तीव्रता, प्रेम का आलोक।

अनुवाद : चंद्रकिरण राठी