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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

विचार जब तक स्वानुभूति के अंगार में कुंदनवत न चमकें; तब तक उनमें वह शक्ति उत्पन्न नहीं हो सकती, जिसके बिना वे न केवल श्रीहीन हो जाते हैं वरन पंगु भी।