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राधावल्लभ त्रिपाठी के उद्धरण

वाल्मीकि की समाजदृष्टि के बारे में यह कहा जा सकता है कि वे सार्थक तथा रचनात्मक परिवर्तन के पक्षधर हैं, पर प्रचलित व्यवस्था के विध्वंस के नहीं।